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Wednesday, October 12, 2011

तेरी चूड़ियाँ

खनकती होंगी तेरी चूड़ियाँ, खनकते होंगे तेरे कंगन
लेकिन तेरे पास नहीं तेरा साजन
बजती होगी तेरी पायल, बोलती होगी तेरी बिंदिया
लाख बुलाने पर नहीं आती होगी तुझे निंदिया

मेरी यादों को सोचते होगे
मेरी बातों को सोचते होगे
तन्हाईयों में छिपकर
मुझसे बातें करते होगे

जल्दी ही होगा दूर अब ये इंतज़ार
फूल ही फूल होंगे, नहीं होगा इक भी खार
जब भी तूने अपनी मांग को सजाया होगा
मेरा चेहरा जरूर तेरे सामने आया होगा

सारी दुनिया के सामने
इक दिन मैं आऊंगा
तुमसे ही तुमको चुराकर
डोली में बिठाकर ले जाऊंगा

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
18th Apr. 2000, '77'

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