तजुर्बा
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Sunday, October 16, 2011
तो कम है
गर
मैं
तुझे
अरमान
कहूँ
तो
कम
है
गर
मैं
तुझे
अपनी
पहचान
कहूँ
तो
कम
है
गर
मैं
तुझे
अपना
मन
कहूँ
तो
कम
है
गर
मैं
तुझे
धड़कते
हुए
दिल
की
धड़कन
कहूँ
तो
कम
है
गर
मैं
तुझे
अपनी
ख़ुशी
कहूँ
तो
कम
है
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
14th May, 2000, '78'
1 comment:
संगीता स्वरुप ( गीत )
Sunday, 16 October, 2011
तुम इन सबसे कहीं ज्यादा हो ..अच्छी प्रस्तुति
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