है वो कशिश
है वो अपनापन
है इक लगन
आपकी आवाज़ में
आप कहती रहें
मैं सुनता रहूँ
बस खो जाऊँ मैं
आपकी आवाज़ में
लव खोल दें चमन में आप
तो हर कली मुस्कुरा दे
डूब जाएँ खुशियों में
आपकी आवाज़ में
आये जब भी खिजां
आप मुस्कुरा देना
आ जायेंगे हम बहारों में
आपकी आवाज़ में
बस यही है आरजू
कायम रहे आपका जादू
मुहब्बत रहे आपके दिल में
मिल जाएं आपकी आवाज़ में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
5th July 2000 '101'
है वो अपनापन
है इक लगन
आपकी आवाज़ में
आप कहती रहें
मैं सुनता रहूँ
बस खो जाऊँ मैं
आपकी आवाज़ में
लव खोल दें चमन में आप
तो हर कली मुस्कुरा दे
डूब जाएँ खुशियों में
आपकी आवाज़ में
आये जब भी खिजां
आप मुस्कुरा देना
आ जायेंगे हम बहारों में
आपकी आवाज़ में
बस यही है आरजू
कायम रहे आपका जादू
मुहब्बत रहे आपके दिल में
मिल जाएं आपकी आवाज़ में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
5th July 2000 '101'
बस यही है आरजू
ReplyDeleteकायम रहे आपका जादू
मुहब्बत रहे आपके दिल में
मिल जाएं आपकी आवाज़ में..... बहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
good words
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