
जब कभी सोचता हूँ दुनिया के नजारों में
तो इनका हल ढूंढता हूँ अपनी किताबों में
नहीं आता मुझे जब कुछ याद
तो खो जाना चाहता हूँ अपनी किताबों में
उसे यहाँ खोजता हूँ वहाँ खोजता हूँ
लेकिन देखता हूँ उसे अपनी किताबों में
नहीं होता है जब कोई मेरे साथ
तो दिल को लगाता हूँ अपनी किताबों में
ईश्वर ने बनाया है इसे सोच समझकर
इसलिए इंसान मिल जाना चाहता है अपनी किताबों में
जब भी आता है मेरे ऊपर कोई ग़म
तो ख़ुशी तलाश करता हूँ अपनी किताबों में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'15' 15th Apr. 1999
किताबों से दिल का लगाना अच्छा लगा शेर बहुत खुबसूरत है दिल से निकला वाह , बहुत खूब (वरिफिकेसन हटा दें तो अच्छा रहेगा )
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