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Wednesday, November 14, 2012

पहचानने में समय न लगा

घुटने से ऊपर उसके कपड़े  थे 
कंधे से ऊपर उसके बाल थे 
दुपट्टा से कोई वास्ता  न था 
होठों  पे कोई कैमीकल लाल था 
चाल  में उसकी 
हवा के झोंके सी लहरें थीं 
अदाओं में उसकी नशा सा था 
मुझे पहचानने में समय न लगा
नए  ज़माने की 
वो आधुनिक लड़की थी !

-  मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
1st June, 2001, '138'
 

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