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Thursday, March 28, 2013

अपनी मुहब्बत का भरम तुम रख लेना



अपनी मुहब्बत का भरम तुम रख लेना
मेरे बिना जीना पड़े तो जी लेना

उरूजे इश्क़ पे भी मंजिले मक़सूद न मिली
दुनिया दे ज़हर तो खुशी- खुशी पी लेना 

किताबे जीस्त के हर वरक पे तुमको पाया है
लोगों से क्या शिकायत करूँ लवों को सी लेना 

दरियाए उल्फत में हलचल तो होगी जुरूर कभी
मगर ऐसी मौजों की परवाजों को तुम पी लेना

वज्मे उल्फत में यादों का दिया गर मचलने लगे
बाजारे दुनिया से दूर हो तन्हाई में जी लेना 



-मुहम्मद शाहिद अजनबी
 

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