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Thursday, April 21, 2011

यही है तमन्ना

चाहते हैं हम सिर्फ तुमको
और शायद तुम हमको
तुम्हें हो या न हो भरोसा
पर मुझे है पूरा भरोसा
कि

मेरे दिल में सिर्फ तुम हो
तेरे दिल में हम हों न हों
तुमसे मिलने पर ख़ुशी होती है ऐसी
डूबता को मिलने पर किनारा होती है जैसी
तुमसे जुदा होने पर हालत होती है ऐसी
समंदर से लहर जुदा होती है जैसी

टूट पड़ता है ग़म का अम्बार
छिन जाती है दामन से सारी ख़ुशी
जब कोई करता है बातें जुदाई
कि

बिछड़ना, न होना जुदा
यही है तमन्ना , यही है आरज़ू !!!!


- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'16' 15th Apr. 1999

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