अपनी मुहब्बत का भरम तुम रख
लेना
मेरे बिना जीना पड़े तो जी
लेना
उरूजे इश्क़ पे भी मंजिले
मक़सूद न मिली
दुनिया दे ज़हर तो खुशी-
खुशी पी लेना
किताबे जीस्त के हर वरक पे
तुमको पाया है
लोगों से क्या शिकायत करूँ
लवों को सी लेना
दरियाए उल्फत में हलचल तो
होगी जुरूर कभी
मगर ऐसी मौजों की परवाजों
को तुम पी लेना
वज्मे उल्फत में यादों का
दिया गर मचलने लगे
बाजारे दुनिया से दूर हो
तन्हाई में जी लेना
-मुहम्मद शाहिद अजनबी
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