तन्हा न कट सकेंगी बेचैन ये रातें
पल-पल सताएंगी वो तेरी बातें
सोचेंगे खो जाएँ ख्वाबों की दुनिया में
मगर रह-रह के याद आएँगी गुज़री मुलाकातें
वज़्म में उल्फत का चर्चा होगा जब भी
होगी आँखों से बारहा अश्कों की बरसातें
कुछ ऐसा कर दे ऐ मेरे खुदा
आये वो मगर न आयें उसकी यादें
इस तरह भुलाने से भुला पाया है कोई "अजनबी"
आई है जो खिजाँ तो आएँगी जरूर बहारें
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
2nd July, 2000 '99'
पल-पल सताएंगी वो तेरी बातें
सोचेंगे खो जाएँ ख्वाबों की दुनिया में
मगर रह-रह के याद आएँगी गुज़री मुलाकातें
वज़्म में उल्फत का चर्चा होगा जब भी
होगी आँखों से बारहा अश्कों की बरसातें
कुछ ऐसा कर दे ऐ मेरे खुदा
आये वो मगर न आयें उसकी यादें
इस तरह भुलाने से भुला पाया है कोई "अजनबी"
आई है जो खिजाँ तो आएँगी जरूर बहारें
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
2nd July, 2000 '99'
No comments:
Post a Comment