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Sunday, September 04, 2011

कब झूमेंगी खुशियाँ तुम पर

कब होंगी दूर ग़म की घटायें
कब छटेंगे जुदाई के बादल

कब गिरेंगे फूल हम पर
कब झूमेंगी खुशियाँ तुम पर

बाँहों में होंगे तुम तुम्हारे
दिल में होंगे हम तुम्हारे

ऐसा भी शमन आएगा
बस इंतज़ार कराएगा

इंतज़ार करें और कब तक
पहुंचा दो पयाम ये उन तक

नहीं सही जाती अब ये जुदाई
नहीं सहा जाता अब ये दर्द

कह दो उनसे "अजनबी"
यही है मेरे प्यार का दर्द

- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

'73' 12nd Apr. 2000

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