ऐ दोस्त !
चल छोड़ यार
कहीं और चलते हैं
सियासत से दूर
बरगद की छाँव में
बचपन के गाँव में
दौड़ते- दौड़ते लग जाए
फिर कोई काँटा
और निकालने को आये
मेरा सबसे अजीज़ यार
- शाहिद 'अजनबी'
14.05.14, '359'
चल छोड़ यार
कहीं और चलते हैं
सियासत से दूर
बरगद की छाँव में
बचपन के गाँव में
दौड़ते- दौड़ते लग जाए
फिर कोई काँटा
और निकालने को आये
मेरा सबसे अजीज़ यार
- शाहिद 'अजनबी'
14.05.14, '359'