रिश्तों को हम निभाएंगे, रस्मों को हम निभाएंगे
मगर तुमसे बिछड़कर जिंदा न हम रह पाएंगे
हर किसी से अपने को जुदा कर लेंगे
मगर अपने को तुमसे अलग न कर पाएंगे
सिखाई है तूने मुझे सिर्फ वफ़ा
अब तुझसे बे वफाई न कर पाएंगे
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'69' 16th Feb. 2000
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Monday, August 29, 2011
Sunday, August 28, 2011
वादा है सनम, तुम से है ये वादा
प्यार किया है प्यार करेंगे
तेरे हैं हम तेरे ही रहेंगे
वादा है सनम, तुम से है ये वादा
छोड़ेंगे ये दुनिया, न छोड़ेंगे तुम्हें सनम
दिल से बांधे रहेंगे सारी ज़िन्दगी तुम्हें सनम
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
आने न देंगे ऐसे दिन न वे रातें
न कह पायें इक दुसरे से दिल की बातें
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
ग़मों को ले लूँगा तुम्हारे दे के अपनी खुशियाँ
छिपा लूँगा तुझे अपने में लुटा के अपनी हँसियाँ
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'68' 16th Feb., 2000
तेरे हैं हम तेरे ही रहेंगे
वादा है सनम, तुम से है ये वादा
छोड़ेंगे ये दुनिया, न छोड़ेंगे तुम्हें सनम
दिल से बांधे रहेंगे सारी ज़िन्दगी तुम्हें सनम
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
आने न देंगे ऐसे दिन न वे रातें
न कह पायें इक दुसरे से दिल की बातें
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
ग़मों को ले लूँगा तुम्हारे दे के अपनी खुशियाँ
छिपा लूँगा तुझे अपने में लुटा के अपनी हँसियाँ
वादा है सनम, तुमसे है ये वादा
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'68' 16th Feb., 2000
Saturday, August 27, 2011
वो तेरी मीठी बातें
हर पल सताती हैं
हर लम्हा रुलाती हैं
वो तेरी मीठी बातें
कभी नींदों से जगाती हैं
तो कभी बातों में हँसाती हैं
वो तेरी यादें - तेरी यादें
दिल में उठता है तूफ़ान
मन में होती है हलचल
जब ही याद आती है
तेरे संग गुजारी रातें
वो चाँद का चमकना
मेरा सर तेरी गोद में होना
अपने होठों से मेरे सर को
फिर तेरा वो चूमना
याद आती हैं जब ये यादें
भर जाती हैं तेरे प्यार से मेरी साँसें
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
'67' 16th Feb. 2000
हर लम्हा रुलाती हैं
वो तेरी मीठी बातें
कभी नींदों से जगाती हैं
तो कभी बातों में हँसाती हैं
वो तेरी यादें - तेरी यादें
दिल में उठता है तूफ़ान
मन में होती है हलचल
जब ही याद आती है
तेरे संग गुजारी रातें
वो चाँद का चमकना
मेरा सर तेरी गोद में होना
अपने होठों से मेरे सर को
फिर तेरा वो चूमना
याद आती हैं जब ये यादें
भर जाती हैं तेरे प्यार से मेरी साँसें
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी'
'67' 16th Feb. 2000
Thursday, August 25, 2011
किसी से तुझे प्यार हो गया
कहाँ गया वो भोलापन
कहाँ गयी वो सादगी
हो गया तू तो अब ज़िन्दगी से बेखबर
नहीं है तुझे तो अब अपनी खबर
किसी से तुझे प्यार हो गया
खो गए हो तुम अपने में
डूब गए हो तुम सपने में
बना ली है ख्वाबों की दुनिया
बना लिया है उसकी बातों का महल
किसी से तुझे प्यार हो गया
फूलों से करते हो बातें
बूंदों से करते हो प्यार
रहते हो अब तुम तन्हाईयों में
हो गए हो सारी दुनिया से "अजनबी"
और अपनों से अनजाने
किसी से तुझे प्यार हो गया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'66' 3rd Jan, 2000
कहाँ गयी वो सादगी
हो गया तू तो अब ज़िन्दगी से बेखबर
नहीं है तुझे तो अब अपनी खबर
किसी से तुझे प्यार हो गया
खो गए हो तुम अपने में
डूब गए हो तुम सपने में
बना ली है ख्वाबों की दुनिया
बना लिया है उसकी बातों का महल
किसी से तुझे प्यार हो गया
फूलों से करते हो बातें
बूंदों से करते हो प्यार
रहते हो अब तुम तन्हाईयों में
हो गए हो सारी दुनिया से "अजनबी"
और अपनों से अनजाने
किसी से तुझे प्यार हो गया
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'66' 3rd Jan, 2000
Wednesday, August 24, 2011
दुनिया वालों की है ये दुनिया
बादल को बरसने दे
बिजली को चमकने दे
जो होता है उसे होने दे
ऐ, दुनिया वालो, लेकिन!
हमें उसी का हो के रहने दे
न करो हमें जुदा
न करो हमें अलग
गर हो गए जुदा
गर हो गए अलग
ये दिल तो रो रहा है
आसमान दुनिया वालों की
दुनिया वालों की है ये दुनिया
मेरी तो बस वही है दुनिया
वही है मेरी ज़िन्दगी
वही है दिल की धड़कन
दिल में हैं मेरे ढेर सारी तमन्नाएँ
कर दो पूरी मेरी तमन्नाएँ
रो रहे हैं हम उसके लिए
ले लो मेरा चैन चाहे
ले लो मेरी जान
ऐ दुनिया वालो, लेकिन !
हमें उसी का हो के रहने दे
कर रहा हिया फ़रियाद आज "अजनबी"
सुन लो दुनिया वालो सुनलो।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'65 ' 9th June, 2000
बिजली को चमकने दे
जो होता है उसे होने दे
ऐ, दुनिया वालो, लेकिन!
हमें उसी का हो के रहने दे
न करो हमें जुदा
न करो हमें अलग
गर हो गए जुदा
गर हो गए अलग
ये दिल तो रो रहा है
आसमान दुनिया वालों की
दुनिया वालों की है ये दुनिया
मेरी तो बस वही है दुनिया
वही है मेरी ज़िन्दगी
वही है दिल की धड़कन
दिल में हैं मेरे ढेर सारी तमन्नाएँ
कर दो पूरी मेरी तमन्नाएँ
रो रहे हैं हम उसके लिए
ले लो मेरा चैन चाहे
ले लो मेरी जान
ऐ दुनिया वालो, लेकिन !
हमें उसी का हो के रहने दे
कर रहा हिया फ़रियाद आज "अजनबी"
सुन लो दुनिया वालो सुनलो।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'65 ' 9th June, 2000
Tuesday, August 23, 2011
बहारों का शमां बिखेर दिया
मैं उजड़ा चमन था
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
बहारों का शमां बिखेर दिया
ग़मों का साया ओढ़ लिया
ऐसे नहीं होगा प्यार मेरे यार
फिर कैसे होगा प्यार मेरे यार
मैं भी नहीं समझता
तू भी नहीं जानती
मैं मरूँगा तेरे लिए
तू जियेगी मेरे लिए
ऐसे ही होगा प्यार मेरे यार
बस इतना है-
मेरी ज़िन्दगी ग़मों का सागर थी
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
मुहब्बत का सागर बना दिया
मैं अपने से "अजनबी" था
तुमने मुझे सच्चे यार से मिला दिया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'64' 7th June 2000
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
बहारों का शमां बिखेर दिया
ग़मों का साया ओढ़ लिया
ऐसे नहीं होगा प्यार मेरे यार
फिर कैसे होगा प्यार मेरे यार
मैं भी नहीं समझता
तू भी नहीं जानती
मैं मरूँगा तेरे लिए
तू जियेगी मेरे लिए
ऐसे ही होगा प्यार मेरे यार
बस इतना है-
मेरी ज़िन्दगी ग़मों का सागर थी
तुमने मेरी ज़िन्दगी में आके
मुहब्बत का सागर बना दिया
मैं अपने से "अजनबी" था
तुमने मुझे सच्चे यार से मिला दिया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'64' 7th June 2000
ऐसे न थे सनम
हम तो ऐसे न थे सनम
तुमने मुझे ऐसा बनाया
दुनिया से किया अनजाना
देकर अपने प्यार का अफसाना
चाहते हो अब क्या लेना
जरा जल्दी से बताना
दे दिया है दर्दे दिल
ले लिया है चैने दिल
अब क्या दूँ मैं तुझे
ले लो , बस ले लो अब मुझे
न रहें अब हम "अजनबी"
हो जाएँ अब एक और बस एक !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी"
'63' 9th June, 2000
तुमने मुझे ऐसा बनाया
दुनिया से किया अनजाना
देकर अपने प्यार का अफसाना
चाहते हो अब क्या लेना
जरा जल्दी से बताना
दे दिया है दर्दे दिल
ले लिया है चैने दिल
अब क्या दूँ मैं तुझे
ले लो , बस ले लो अब मुझे
न रहें अब हम "अजनबी"
हो जाएँ अब एक और बस एक !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी 'अजनबी"
'63' 9th June, 2000
Sunday, August 21, 2011
प्यार ही प्यार छलकता है उसकी बातों में
प्यार ही प्यार छलकता है उसकी बातों में
गजब का नशा है उसकी आँखों में
सोचता हूँ जब भी मैं तन्हा रातों में
नज़र आता है वो ही नशा अपनी आँखों में
जुस्तुजू है उसी की गुजरी मुलाकातों में
जो हर पल रहता है मेरी आँखों में
बस इक वही है मेरी दुआओं मेरी मिन्नतों में
जो ख्वाब बनकर सजा है मेरी आँखों में
हम भी देखेंगे उसका वो "अजनबी'
अरसे से बसा है जो उसकी आँखों में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'61' 5th Jan. 2000
गजब का नशा है उसकी आँखों में
सोचता हूँ जब भी मैं तन्हा रातों में
नज़र आता है वो ही नशा अपनी आँखों में
जुस्तुजू है उसी की गुजरी मुलाकातों में
जो हर पल रहता है मेरी आँखों में
बस इक वही है मेरी दुआओं मेरी मिन्नतों में
जो ख्वाब बनकर सजा है मेरी आँखों में
हम भी देखेंगे उसका वो "अजनबी'
अरसे से बसा है जो उसकी आँखों में
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'61' 5th Jan. 2000
लो वादा किया मैंने
लो वादा किया मैंने
न रूठूंगा कभी तुमसे
मान भी जाओ मेरे यार
तुम्हीं तो हो मेरे प्यार
गर रूठूंगा मैं तुमसे
रूठ जायेंगे हम खुद से
छोडो ये गुस्सा बुस्सा
चेहरे पे लाओ हँसियाँ
आयें अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ
चलें फिर बागों में
खो जाएँ प्यार की बातों में
डूब जाएँ चाहत में
लो पकड़े अपने ये कान
यार मेरे अब तो मान
लो वादा किया मैंने
न रूठूंगा कभी तुमसे।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'62' 9th June 2000
न रूठूंगा कभी तुमसे
मान भी जाओ मेरे यार
तुम्हीं तो हो मेरे प्यार
गर रूठूंगा मैं तुमसे
रूठ जायेंगे हम खुद से
छोडो ये गुस्सा बुस्सा
चेहरे पे लाओ हँसियाँ
आयें अपनी ज़िंदगी में खुशियाँ
चलें फिर बागों में
खो जाएँ प्यार की बातों में
डूब जाएँ चाहत में
लो पकड़े अपने ये कान
यार मेरे अब तो मान
लो वादा किया मैंने
न रूठूंगा कभी तुमसे।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'62' 9th June 2000
Saturday, August 20, 2011
कैसे चाहा था तुमने मुझे
कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
देखा था जब तूने मुझे
कैसा महसूस हुआ था तुझे
वो कहती हुयी कुछ आँखें
तमन्नाओं से भरा दिल
दिया था जब तूने मुझे
कैसा अहसास हुआ था तुझे
आँखों से की थी तुमने बातें
दिल से किया था इज़हार
याद आता है अब भी वो मंज़र मुझे
कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'60' 27th Dec.,1999
कैसे चाहा था तुमने मुझे
देखा था जब तूने मुझे
कैसा महसूस हुआ था तुझे
वो कहती हुयी कुछ आँखें
तमन्नाओं से भरा दिल
दिया था जब तूने मुझे
कैसा अहसास हुआ था तुझे
आँखों से की थी तुमने बातें
दिल से किया था इज़हार
याद आता है अब भी वो मंज़र मुझे
कभी पूछा है तुमने अपने दिल से
कैसे चाहा था तुमने मुझे
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'60' 27th Dec.,1999
आँखों को छू गए
निकले जो तुम्हारे अश्क
कह गए सारा दर्दे दिल
कुछ में चुभन थी
कुछ में था अपनापन
और कुछ दिल को छू गए
सुना जब तुम्हारा दर्दे दिल
भूल गया मैं तो अपना ग़म
फिर भी कुछ अश्क
आँखों को छू गए
लाख कोशिश की मैंने रोकने की
लेकिन
कल की खबर दे गए
होठों से छुआ जब मैंने उन्हें
अपने प्यार की कसम दे गए।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'59' 17th Oct. 1999
कह गए सारा दर्दे दिल
कुछ में चुभन थी
कुछ में था अपनापन
और कुछ दिल को छू गए
सुना जब तुम्हारा दर्दे दिल
भूल गया मैं तो अपना ग़म
फिर भी कुछ अश्क
आँखों को छू गए
लाख कोशिश की मैंने रोकने की
लेकिन
कल की खबर दे गए
होठों से छुआ जब मैंने उन्हें
अपने प्यार की कसम दे गए।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
'59' 17th Oct. 1999
Thursday, August 18, 2011
रात की मैंने तुम्हारे नाम
रात की मैंने तुम्हारे नाम
चैन किया मैंने तुम्हारे नाम
दिल था मेरा, तुम्हारे पास
पर, धड़कन थी मेरी पास
धड़कना तुमने सिखाया था
संभलना तुमने सिखाया था
फिर भी
नहीं समझा तुमने दर्दे मिलन को
देकर प्यार भरा दर्द
आँखों से नींद छीन ली
दिल से चैन छीन लिया
बस!
मैंने तो तेरा इंतजार किया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
19th Oct, 1999, '58'
चैन किया मैंने तुम्हारे नाम
दिल था मेरा, तुम्हारे पास
पर, धड़कन थी मेरी पास
धड़कना तुमने सिखाया था
संभलना तुमने सिखाया था
फिर भी
नहीं समझा तुमने दर्दे मिलन को
देकर प्यार भरा दर्द
आँखों से नींद छीन ली
दिल से चैन छीन लिया
बस!
मैंने तो तेरा इंतजार किया।
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
19th Oct, 1999, '58'
बहना के लिए
कहता है भैया आपका कुछ आज
करता है बहना तुझे आज याद
न टूटे ये बंधन दोस्ती का
यूँ ही जुड़ा रहे ये रिश्ता खुशी का
न आये ग़म एक भी आपके पास
खुशियाँ आयें लाख बार
न आये कभी खिज़ां का मौसम
रहे हमेशा बहारों का मौसम
बस यही ख्वाहिश है एक "अजनबी" की
अपनी प्यारी बहना के लिए- बहना के लिए !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
21st, Apr., 2000, '57'
करता है बहना तुझे आज याद
न टूटे ये बंधन दोस्ती का
यूँ ही जुड़ा रहे ये रिश्ता खुशी का
न आये ग़म एक भी आपके पास
खुशियाँ आयें लाख बार
न आये कभी खिज़ां का मौसम
रहे हमेशा बहारों का मौसम
बस यही ख्वाहिश है एक "अजनबी" की
अपनी प्यारी बहना के लिए- बहना के लिए !
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
21st, Apr., 2000, '57'
Wednesday, August 17, 2011
कब आओगी बहना मेरी
कब आओगी बहना मेरी
इंतज़ार करे है भैया तेरा
आप नहीं हैं यहाँ तो
भर गया है यहाँ सूनापन
कब होगा ये दूर
है ये कहना मुश्किल
मगर है ये तय कि
इक दिन
होगा दूर सूनापन, खुशियाँ लौटेंगी
कलियाँ खिलेंगी, फूल मुस्कुराएंगे
बस इंतज़ार है अब उस दिन का
जब आप मुझे भैया कह कर पुकारेंगी
और 'अजनबी' के क़रीब होंगी !!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
16th, Aug., 1999, '56'
इंतज़ार करे है भैया तेरा
आप नहीं हैं यहाँ तो
भर गया है यहाँ सूनापन
कब होगा ये दूर
है ये कहना मुश्किल
मगर है ये तय कि
इक दिन
होगा दूर सूनापन, खुशियाँ लौटेंगी
कलियाँ खिलेंगी, फूल मुस्कुराएंगे
बस इंतज़ार है अब उस दिन का
जब आप मुझे भैया कह कर पुकारेंगी
और 'अजनबी' के क़रीब होंगी !!
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
16th, Aug., 1999, '56'
ग़मों से प्यार
तुमने तो प्यार किया था अपना समझकर
ठुकराया उसने तुम्हें इक अनजाना समझकर
इसे भाग्य का फैसला कहूँ
या किस्मत का खेल कहूँ
चाहता है जो रब होता है वही
मैं जो भी सोचूँ तुम जो भी कहो
था जो तुम्हारा अब हो गया पराया
उठ गया तुम्हारे सर से अब वो साया
होगा तुम्हें याद अब भी वो नज़ारा
खायीं थीं तुमने कसमें किये थे तुमने वादे
निकले सारे फरेब हो गए सारे झूठे
जीना तो पड़ता ही है दुनिया में
यादों के सहारे या दर्द के साथ
सीख लें वे ग़मों से प्यार और दर्दे जुदाई का सहना
यही है प्यार करने वालों से "अजनबी" का कहना
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
17th Aug., 1999, '55'
ठुकराया उसने तुम्हें इक अनजाना समझकर
इसे भाग्य का फैसला कहूँ
या किस्मत का खेल कहूँ
चाहता है जो रब होता है वही
मैं जो भी सोचूँ तुम जो भी कहो
था जो तुम्हारा अब हो गया पराया
उठ गया तुम्हारे सर से अब वो साया
होगा तुम्हें याद अब भी वो नज़ारा
खायीं थीं तुमने कसमें किये थे तुमने वादे
निकले सारे फरेब हो गए सारे झूठे
जीना तो पड़ता ही है दुनिया में
यादों के सहारे या दर्द के साथ
सीख लें वे ग़मों से प्यार और दर्दे जुदाई का सहना
यही है प्यार करने वालों से "अजनबी" का कहना
- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"
17th Aug., 1999, '55'
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