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Saturday, May 08, 2010

प्यार

"ये प्यार भी क्या चीज़ है यार , तड़पना आहें भरना, रोना और थोडा सा मुस्कराना, आँखों में आंसूं, दिल में मलाल , मन में मिलन की आशा , अर्थात चैन से ज़िन्दगी न जी पाने का नाम है 'प्यार" है।
-"Ajnabi"

" यही जीवन है"

I am M. S. M. To see me with Love and pity not hate, because I am very soft!

"यही जीवन है"

........Dedicated to a sweet pain of my heart!
- "Ajnabi"

" प्यार वो है जो हर किसी को नहीं मिलता"

" बड़ा खुशनसीब है वो जिसे तेरे आँचल का साथ मिला"

"मैं तेरा आइना हूँ और तुम मेरा आइना हो"

"प्यार अनजाने में होता है"
-" अजनबी"

"Literature In My View"

"साहित्य " इस शब्द को आँखों से देखते ही मन में कुछ होता है। कल्पनाएँ जाग जाती हैं। मन प्रकृति में खो जाता है और दिल में खुशी और गम दोनों के मंजर पैदा हो जाते हैं। होठों पर कभी हँसी आती है तो कभी मलाल पर जब होठों पर हँसी आती है तो होंठ थिरकने लगते हैं , कुछ कहना चाहते हैं लेकिन ....... और जब होठों पर मलाल का मौसम छाता है तो होंठ बिल्कुल रुके हुए , यहाँ , वहां , कहीं भी हिलना नहीं चाहते। मन भटकने लगता है। कभी नदी तो कभी झील को देखता है और पानी की धार को एक तक देखता रहता है उसमें तैरना चाहता है उसमें जाना चाहता है, उसमें मिलकर रहना चाहता है।


लोग कहते हैं तभी कुछ लिखा जा सकता है जब कोई किसी को चाहता हो , उसे प्यार करता हो ,उसे अपना बनाना चाहता हो मेरे अनुसार ऐसी कोई बात नहीं है। ये तो मन में उठे विचार हें कुछ कल्पनाएँ हैं जो कुछ कह रहे हैं जीवन का रास्ता बता रहे हैं। ये तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पुन्ह्चाना चाहते हैं। जहाँ तुम अपना सारा जीवन सारी दुनिया से अलग , इस जहाँ के लोगों की ज़िन्दगी बिताने के तरीके से हटकर , बिता सको। जहाँ तुम्हें चैन और सुकून मिले।
साहित्य में वो अनूठी चीज है की जब तुम्हारा दिल रोना चाहे तो इसे पढ़कर रोए और जब हँसना चाहे तो हँसे।
यही तो वो चीज है जो मनुष्य को आने वाले कल को पहले से महसूस करा देती है। मैंने इसे कैसे लिखना सीखा ये तो बता पाना बहुत मुश्किल है पर मैं इतना जरुर जानता हूँ की मन ने सोचा, दिल ने चाहा और कलम ने इस कीमती कागज़ पर लिख दिया।
अंत में, मैं यही कहूँगा की इसमें मैंने चैन सुकून और एक अजीब सी छुवन जो कुछ याद दिलाती है , पाया।


" नहीं है कुछ इस दुन्याए फानी में

बेकार है जीवन नहीं काम की ये ज़िन्दगी

जो है सब पल भर के लिए "

-Author

Mohd. Shahid Mansoori "Ajnabi"


- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी" कोंचवी

- 23rd Apr. 1999

"Introduction"

पूरा नाम- मुहम्मद शाहिद मंसूरी "अजनबी"

जन्म- 27 सितम्बर 1981 (कोंच)

यादगार दिन - जिस दिन मैंने पहली कविता लिखी

मनपसंद खेल - क्रिकेट

मनपसंद खिलाडी- मुहम्मद अजहरुद्दीन , शाहिद आफरीदी

किससे नफरत है- भीड़ और लोग लड़कियों को गिरी हुई नज़र से देखते हैं।

सबसे कीमती धरोहर- ईमानदारी

मनपसंद भोजन- दाल- चावल

मनपसंद पेय- Sprite

ज़िन्दगी में सिद्धांत- ज़िन्दगी का मज़ा लो, जो मन हो वह पूरा करो, नफरत को नफरत से नहीं बल्कि प्यार और नम्रता से ख़त्म किया जा सकता है।

मनपसंद Female जेवर - सिर्फ कंगन

मनपसंद फिल्म- दिलवाले दुल्हनियां ले जायेंगे, कुछ - कुछ होता है , हम दिल दे चुके सनम

मनपसंद अभिनेता- आमिर खान

मनपसंद अभिनेत्री- काजोल

Friday, May 07, 2010

First Page

"Dedicated to the
memory of my
grand parents
and the special
person who live
in my heart"

- Muhammad Shahid Mansoori "Ajnabi" Konchvi.